ये पागलपन
रॉय शर्मिंदा है...
ये हैवानियत
इंसानियत शर्मिंदा है ....
ये नमर्दानागी
मर्द शर्मिंदा है ....
ये दरिंदगी
देश शर्मिंदा है .....
ऐसे पुत्र
धरती माता शर्मिंदा है....
ABOVE WRITTEN ARE ORIGINAL LINES JUST CREATED BY ROY...DEDICATED TO GIRLS...
रॉय शर्मिंदा है...
ये हैवानियत
इंसानियत शर्मिंदा है ....
ये नमर्दानागी
मर्द शर्मिंदा है ....
ये दरिंदगी
देश शर्मिंदा है .....
ऐसे पुत्र
धरती माता शर्मिंदा है....
ABOVE WRITTEN ARE ORIGINAL LINES JUST CREATED BY ROY...DEDICATED TO GIRLS...
छोडो मेहँदी खडक संभालो, खुद ही अपना चीर बचा लो
जाल बिछाये बैठे शकुनि, मस्तक सब बिक जायेंगे
सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो, अब गोविंद ना आयेंगे
कब तक आस लगाओगी तुम, बिक़े हुए अखबारों से,
कैसी रक्षा मांग रही हो दुशासन दरबारों से|
स्वयं जो लज्जा हीन पड़े हैं वे क्या लाज बचायेंगे
सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो अब गोविंद ना आयंगे
कल तक केवल अँधा राजा, अब गूंगा बहरा भी है
होठ सील दिए हैं जनता के, कानों पर पहरा भी है
तुम ही कहो ये अश्रु तुम्हारे, किसको क्या समझायेंगे?
सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो, अब गोविंद ना आयेंगे......
जाल बिछाये बैठे शकुनि, मस्तक सब बिक जायेंगे
सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो, अब गोविंद ना आयेंगे
कब तक आस लगाओगी तुम, बिक़े हुए अखबारों से,
कैसी रक्षा मांग रही हो दुशासन दरबारों से|
स्वयं जो लज्जा हीन पड़े हैं वे क्या लाज बचायेंगे
सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो अब गोविंद ना आयंगे
कल तक केवल अँधा राजा, अब गूंगा बहरा भी है
होठ सील दिए हैं जनता के, कानों पर पहरा भी है
तुम ही कहो ये अश्रु तुम्हारे, किसको क्या समझायेंगे?
सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो, अब गोविंद ना आयेंगे......